1
रंग गुलालों का मौसम है
महकी हुई फिज़ाएँ भी हैं
कलियाँ कलियाँ झूम रही हैं
बहकी हुई हवाएँ भी हैं
2
रंगोली में रंग भरे हैं
चाहत के, कुछ प्रीति प्यार के
आ जाते तुम एक बार जो
आ जाते फिर दिन बहार के
3
"राधा" छुपती छुपती भागे
'कान्हा' ढूँढे भर पिचकारी
ग्वाल बाल की टोली आती
देख गोपियाँ देवै गारी
4
"प्रेम मुहब्बत भाईचारा"
होली का संदेश हमारा
गले मिलें औ' रंग लगाएँ
पर्व अनूठा अनुपम न्यारा
-आनन्द पाठक-