शुक्रवार, 13 जून 2014

चन्द माहिया : क़िस्त 01


 : 1 : 

ये हुस्न का जादू है
सर तो सजदे में
पर दिल बेक़ाबू  है


    :2:

आँखों में उतरना है
टोक दिया दिल ने
कुछ और सँवरना है
  
     :3:

हम राह निहारेंगे
आओ न आओ तुम
हम फिर भी पुकारेंगे

     :4:

ख़्वाबों में बुला कर तुम
छुप जाती हो क्यों
यूँ प्यास बढ़ा कर तुम ?

     :5:


इक देश हमें जाना
कैसा होगा,वो !
जो देश है अनजाना


-आनन्द.पाठक-

सं 21-10-20

इन्ही माहियों को मेरी आवाज़ में सुने

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