बुधवार, 20 अगस्त 2014

चन्द माहिया : क़िस्त 06

   :1:

ख़ुद से कुछ कहता है
तनहाई में दिल
जब खोया रहता है ?

   :2:
फिर लौट के कब आना
आज नहीं तो कल 
इक दिन तो हमें  जाना

   :3:

परदा ये उठाना है
आस बँधी तुम से
जीने का बहाना है

   :4:

जो दर्द हैं जीवन के
कह देते हैं सब
दो आँसू विरहन के

   :5:

ख़ंज़र से न गोली से
नफ़रत मरती है
इक प्यार की बोली से

-आनन्द पाठक-

[सं0 15-06-18]

3 टिप्‍पणियां:

आशीष अवस्थी ने कहा…

सुंदर रचनाएं , आनंद सर धन्यवाद !
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आनन्द पाठक ने कहा…

आ0 कुलदीप जी/आशीष भाई
सराहना के लिए आप सभी लोगों का धन्यवाद
सादर
-आनन्द.पाठक

virendra sharma ने कहा…

सुन्दर कोमल माहिया दर्दे दिल लिए तड़प लिए विछोह की आत्म से परमात्म की।