सोमवार, 29 मई 2017

चन्द माहिया: क़िस्त 46

क़िस्त : 46

:1:

रेती पे घरौंदे हैं
बह जाते सपने
लहरों ने रौंदे हैं

:2:

खुशियाँ हैं,पसीना है
जीने का मतलब
हर रंग में जीना है
:3:
क्यों बात कही आधी?
और सुना माही!
है रात अभी बाक़ी

:4:

यूँ तो सब से नाता
कौन हुआ किसका
जब वक़्त बुरा आता
:5:

आजीवन क्यों क्रन्दन
ख़ुद ही बाँधा है
 माया का जब  बन्धन



-आनन्द.पाठक--
[सं 15-06-18]

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