शनिवार, 24 नवंबर 2018

चन्द माहिया : क़िस्त 55

चन्द माहिया : क़िस्त 55

1
जब जब घिरते बादल
प्यासी धरती क्यों
होने लगती पागल ?

:2:
भूले से कभी आते
मेरी दुनिया में
वादा तो निभा जाते

:3:
इस मन में उलझन है
धुँधला है जब तक
यह मन का दरपन है

:4:
जब छोड़ के जाना था
फिर क्यों आए थे ?
क्या दिल बहलाना था?

:5:
अब और कहाँ जाना
तेरी आँखों का
यह छोड़ के मयखाना

-आनन्द.पाठक-


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