tag:blogger.com,1999:blog-5618387027539095791.post2463421985957995245..comments2024-01-10T14:37:57.582+05:30Comments on गीत ग़ज़ल और माहिए ------आनन्द पाठक: एक ग़ज़ल 14 : जहां पे तुम्हारे सितम ....आनन्द पाठकhttp://www.blogger.com/profile/00352393440646898202noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-5618387027539095791.post-32587527584198616072010-06-22T12:12:40.866+05:302010-06-22T12:12:40.866+05:30जहाँ पर तुम्हारे सितम बोलते हैं
वहीं पर हमारे क़लम ...जहाँ पर तुम्हारे सितम बोलते हैं<br />वहीं पर हमारे क़लम बोलते हैं<br /><br />जहाँ बोलने की इजाज़त नहीं है<br />निगाहों से रंज-ओ-अलम बोलते हैं !!<br /><br />वाह...क्या बात कही....<br /><br />सभी के सभी शेर लाजवाब....<br />बहुत ही सुन्दर रचना...रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.com