[ इन दोहों में सुधार अपेक्षित है--कॄपया प्रतीक्षा करें ---]
फिर भी छीना-झपट है संसद में गंभीर
वोटन चोटन अस करी जस कबहूँ न कराय
'झुरिया' 'छमिया' गाँव की आँख दिखावत जाय
ढुलमुल ऐसा बोलिए अर्थ न समझे कोय
पार्टी -प्रवक्ता के लिए सच्चा नेता सोय
नैनन आंसू भर लिए ,देख देश का हाल
लगे सोच में डूबने कैसे करे हलाल
एम०पी० कुछ खरीद कर बहुमत करते सिद्ध
इसी तरह करते रहे लोकतंत्र समृद्ध
एक पाँव कुर्सी रखे एक पाँव है जेल
जनता मग्न हवे देखती राजनीति का खेल
(प्रकाशित राजस्थान पत्रिका अहमदाबाद संस्करण)
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