मंगलवार, 29 मार्च 2011

गीत 26 : तुम ने ज्योति जलाई होगी ......

तुम ने दीप जलाया होगा , याद मेरी भी आई होगी

तुम ने भी तो देखा होगा तारों को स्पन्दन करते
स्निग्ध चाँदनी की किरणों को लहरों का आलिंगन करते

फिर तुम से रह गया न होगा ,मन ही मन शरमाई होगी
याद मेरी भी .......

प्रथम किरण के स्वागत में जब हम दोनों ने अर्ध्य चढ़ाए
ऐसा ग्रहण लगा जीवन में ,तब से अब तक उबर न पाए

मुझको सम्बल देते देते ख़ुद की पीर भुलाई होगी
याद मेरी भी.....

याद तुम्हें भी आती होगी मिट्टी को वो बने घरौंदे
निष्ठुर काल-चक्र के पाँवो तले गए थे कैसे रौंदे !

मैने तो सच मान लिया था ,तुम सच मान न पायी होगी
याद मेरी भी ....

मृत्यु मिलन है ,जन्म विरह है ,मन क्यों  हर्षित ?क्यों हो दुखी ?
कभी सृजन है कभी प्रभंजन ,यह तो जीवन-क्रम , सुमुखी !

रेत पटल पर नाम मेरा लिख कितनी क़समें खाई होगी
तुम ने दीप जलाया होगा, याद मेरी भी आई होगी

-आनन्द पाठक-

2 टिप्‍पणियां:

शारदा अरोरा ने कहा…

बहुत मर्म स्पर्शी ....और गीत भी ..गुनगुनाने जैसा ...

saurabh bhatt ने कहा…

अच्छी प्रस्तुति,