शनिवार, 13 दिसंबर 2014

चन्द माहिया : क़िस्त 11


;1:

उल्फ़त की राहों से

कौन नहीं गुज़रा
मासूम गुनाहों से

:2:

आँसू न कहो इसको
एक हिकायत है
चुपके से पढ़ो इसको

:3:

कुछ वस्ल की बातों में
उम्र कटी मेरी
कुछ हिज्र की रातों में

:4:

ये किसकी निगहबानी
हुस्न है बेपरवाह
और इश्क़ की नादानी

:5:

तेरी चाल शराबी है
क्यूँ न बहक जाऊँ
मौसम भी गुलाबी है


-आनन्द पाठक

[सं 09-06-18]

2 टिप्‍पणियां:

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत सुन्दर..

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार ने कहा…

.


बेहतरीन माहिये !
गुनगुनाते हुए पढ़ने का आनंद लिया है...

आभार