चन्द माहिया : क़िस्त 35
:1:
सजदे में पड़े हैं हम
लेकिन जाने क्यूँ
दिल है दरहम बरहम
;2;
जब से है तुम्हें देखा
दिल ने कब माना
कोई लछ्मन- रेखा
:3:
क्या बात हुई ऐसी
दिल में अब तेरे
चाहत न रही वैसी
:4:
समझो न कि पानी है
क़तरा आँसू का
ख़ुद एक कहानी है
:5:
इक राह अनोखी है
जाना है सब को
पर किसने देखी है
शब्दार्थ दरहम बरहम = तितर बितर ,अस्त व्यस्त ,व्यथित
-आनन्द.पाठक-
[सं 13-06-18]
:1:
सजदे में पड़े हैं हम
लेकिन जाने क्यूँ
दिल है दरहम बरहम
;2;
जब से है तुम्हें देखा
दिल ने कब माना
कोई लछ्मन- रेखा
:3:
क्या बात हुई ऐसी
दिल में अब तेरे
चाहत न रही वैसी
:4:
समझो न कि पानी है
क़तरा आँसू का
ख़ुद एक कहानी है
:5:
इक राह अनोखी है
जाना है सब को
पर किसने देखी है
शब्दार्थ दरहम बरहम = तितर बितर ,अस्त व्यस्त ,व्यथित
-आनन्द.पाठक-
[सं 13-06-18]