शनिवार, 23 जून 2018

चन्द माहिया : क़िस्त 47

न्द माहिया : क़िस्त 47
:1:
सब साफ़ दिखे मन से
धूल हटा पहले
इस मन के दरपन से
:2:
अब इश्क़ नुमाई क्या
दिल से तुम्हे चाहा
हर रोज़ गवाही क्या
:3:
मरने के ठिकाने सौ
दुनिया में फिर भी
जीने के बहाने सौ
:4:
क्या ढूँढ रहा ,पगले !
मिल जायेगा वो
मन तो बस में कर ले
:5:
माया को सच माना
मद में है प्राणी
उफ़ कितना अनजाना

-आनन्द.पाठक

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