शनिवार, 30 जून 2018

चन्द माहिया : क़िस्त 48

चन्द माहिया  : क़िस्त 48

:1:
क्यों दुख से घबराए
धीरज रख मनवा
मौसम है, बदल जाए

:2:
तलवारों पर भारी
एक कलम मेरी
और इसकी खुद्दारी

:3:
सुख-दुख आए जाए
सुख ही कहाँ ठहरा
जो दुख ही ठहर पाए

:4:
तेरी नीली आँखें
ख़्वाबों को मेरे
देती रहती साँसें

:5:
इक नन्हीं सी चिड़िया
खेल रही जैसे
मेरे आँगन गुड़िया


-आनन्द.पाठक-

1 टिप्पणी:

'एकलव्य' ने कहा…

निमंत्रण विशेष : हम चाहते हैं आदरणीय रोली अभिलाषा जी को उनके प्रथम पुस्तक ''बदलते रिश्तों का समीकरण'' के प्रकाशन हेतु आपसभी लोकतंत्र संवाद मंच पर 'सोमवार' ०९ जुलाई २०१८ को अपने आगमन के साथ उन्हें प्रोत्साहन व स्नेह प्रदान करें। सादर 'एकलव्य' https://loktantrasanvad.blogspot.in/