बुधवार, 8 अगस्त 2018

चन्द माहिया : क़िस्त 51

चन्द माहिया   : क़िस्त 51

:1:
सावन की घटा काली
याद दिलाती है
जो शाम थी मतवाली

:2:
सावन के वो झूले
झूले थे हम तुम
कैसे कोई भूले

:3:
सावन की फुहारों से
जलता है तन-मन
जैसे अंगारों से

;4:
 कब आएगी  गोरी ?
पूछ रही मुझ से
मन्दिर की बँधी डोरी

:5:
कुछ मेरी भी सुन माहिया
गाता रहता है
दिल प्यार की धुन माहिया

-आनन्द.पाठक-

कोई टिप्पणी नहीं: