रविवार, 28 जून 2020

चन्द माहिया : क़िस्त 62


क़िस्त 62

          1
दिन भर का थका होगा
कुछ न हुआ हासिल
दुनिया से ख़फ़ा  होगा

          2
अब लौट के है जाना
एक भरम था जग
 उसको ही सच माना

3
जब जाना है ,बन्दे !
अब तो काट ज़रा 
 माया के सब फन्दे

4
तुम को न भरोसा है
कोई है दिल में
मिलने को रोता है

5
इक मेरी मायूसी
उस पर दुनिया की
दिन भर कानाफ़ूसी

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