रविवार, 28 जून 2020

चन्द माहिए : क़िस्त 71


क़िस्त 71

1
दिल है दरहम बरहम
चैन मिले कैसे
आँखें भी है पुरनम
2
दीदार न होना है
वाक़िफ़ हूँ मैं भी
बस ख़्वाब सजोना है
3
जीवन की राह अलग
कितना मैं झुकता
बस अपनी राह अलग
4
अब क्या उन से कहना
ज़ोर-ए-सितम उनका
दिल को है पड़ा सहना
5
उनकी ही निगहबानी
हाल हमारा क्या
बस रब की मिहरबानी

कोई टिप्पणी नहीं: