गुरुवार, 26 नवंबर 2020

चन्द माहिए : क़िस्त 85

 क़िस्त 85


1

भँवरों की बात चली

कलियों को लगती

उनकी हर बात भली 


2

तुम छोड़ गए जब से 

सूनी हैं रातें

दिल रोता है तब से


3

हर हर्फ़ उभर आया

दिल पर कल मेरे

खोया था ख़त ,पाया


4

दो शब्द में सौ बातें

कितने ख़यालों से

गुज़री होंगी रातें 


5

एहसास् तो मुझको है

जितना है मुझको

क्या उतना तुझ् को है ?