कविताएँ

कविता 001 : आप क्यों उदास रहते हैं--
कविता 002 : ये महानगर है--
कविता 003 : प्यासी धरती प्यासे लोग--
कविता 004 : तुम जला कर दीप--
कविता 005 : मृदुल अंकुर भी-- 
कविता 006 : कितने पौरुष वीर पुरुष हैं--
कविता 007 : सूरज निकल रहा है--
कविता 008 : कितना आसान होता है
कविता 009 : काश ! फूल बन कर कहीं
कविता 010 : स्मृति वन से--
कविता 011 : 2-अक्टूबर गाँधी जयन्ति
कविता 012 : गिद्ध नही वह
कविता 013 : मन के अन्दर
कविता 014 : जीवन के हर एक मोड़ पर
कविता 015 : मन बेचैन रहा करता है

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